यूपीएससी प्रीलिम्स पहले चरण की परीक्षा पूर्ण , जानिए कैसे थे प्रश्न और क्या कहना है अभ्यर्थियों का



देश में आईएएस आईपीएस अधिकारी बनने की चाह रखने वालों का सफर आज से शुरू हो गया है और अभ्यर्थियों ने इस महायज्ञ में अपनी पहली आहुति डाल भी दी है। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा (प्रीलिम्स) आज पूरे भारत में आज आयोजित की गई जिसमें लाखों अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया। जून में ही निर्धारित यह परीक्षा कोविड के कारण टाल दी गयी थी।

देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यह परीक्षा दो पालियों में आयोजित की गई जिसमें पहली पाली सुबह 9.30 से 11.30 तक और दूसरी पाली दोपहर 2.30 से 4.30 तक थी। परीक्षा केंद्रों पर कोविड को लेकर काफी सतर्कता बरती जाने की खबरें है और अभी तक किसी भी उपद्रव , विरोध या धांधली की कोई खबर नही है।

आपको बताते चलें कि प्रारंभिक परीक्षा में दो प्रश्नपत्र होते हैं जिसमें प्रथम प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन - 1 होता है और दूसरा प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन - 2 होता है जिसे सीसैट भी कहते हैं यह पेपर केवल क्वालीफाई प्रवित्ति का होता है इस पेपर की कटऑफ नही बनती।


कैसा था पेपर -

अगर प्रथम प्रश्नपत्र की बात की जाए तो प्रश्नपत्र बहुत कठिन नही था ऐसा कुछ अभ्यर्थियों का मानना है वहीं कुछ अभ्यर्थियों का यह भी मानना है कि पेपर पिछले वर्ष की अपेक्षा कठिन था। प्रश्नपत्र द्वितीय को लेकर ज्यादातर अभ्यर्थियों का मानना है कि पेपर सामान्य था न कठिन था न ही सरल। अगर कुलमिलाकर एक राय ली जाए तो मिली जुली प्रतिक्रिया अभ्यर्थियों की मिली है।


कैसे थे प्रश्न -

प्रश्नपत्र प्रथम की बात करें तो पेपर में राजव्यवस्था से काफी हद तक प्रश्न थे इसके साथ ही संविधान से जुड़े प्रश्नों की संख्या भी काफी थी बाकी सामान्य ज्ञान , भूगोल ,सामान्य  विज्ञान से भी प्रश्न थे , भारतीय अर्थव्यवस्था से भी पश्न आए थे , इतिहास से बहुत अधिक प्रश्न देखने को नही मिले , करेंट से प्रश्न भी न के बराबर ही थे।

प्रश्नपत्र द्वितीय जो क्वालीफाइंग स्तर का है उसका स्तर भी सामान्य ही था हर वर्ष की तरह रीडिंग कॉम्प्रीहेंशन से लगभग 40 से 45 प्रतिशत प्रश्न थे इसके अलावा रीजनिंग के प्रश्न थे जो ज्यादा कठिन नही थे स्तर सामान्य था इसके साथ ही गणित से भी प्रश्न थे जो थोड़े कठिन प्रतीत हो रहे थे।

कुलमिलाकर अभ्यर्थियों का कहना था कि पेपर हमेशा की तरह ही था बहुत ज्यादा कठिन नही था , एक और मजेदार चीज़ जो पता चली कि ज्यादातर केंद्रों पर अभ्यर्थियों के केवल रिकॉर्ड ही रखे गए थे असल मे फॉर्म भरने वालों की संख्या के अनुपात में परीक्षा देने आने वालों की संख्या में बड़ा अंतर नज़र आया।
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