नई शिक्षा नीति 2022 : देशभर के विद्यर्थियों के लिए बड़ी ख़बर, तो अब ग्रेजुएशन के बाद ही होगा PHD


NEP 2020 : भारत में लागू की जा रही नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत अब आप ग्रेजुएशन करने के बाद बिना मास्टर्स की डिग्री लिए पीएचडी की शिक्षा ले सकेंगे। पहले की नियमों के अनुसार ग्रैजुएट होने के बाद विद्यार्थियों को पोस्ट ग्रेजुएशन यानी की मास्टर्स की डिग्री के लिए रजिस्ट्रेशन करना पड़ता था पर अब ये बाध्यता खत्म कर दी गई है। यूजीसी की ओर से जारी किया गया नया करिकुलम एनईपी 2020 पर आधारित है। इस फ्रेमवर्क के अनुसार, जो छात्र 4 वर्ष का ग्रेजुएशन कोर्स करेगा, वह डायरेक्ट पीएचडी कर सकेगा। आइये आपको देते हैं UGC नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 की पूरी अपडेट...

पीएचडी के लिए करनी होगी बस 4 साल की ग्रेजुएशन (Only 4 years of graduation will have to be done for PhD) -

नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत पीएचडी करने के लिए मास्टर्स की बाध्यता हटा दी गई है। पीएचडी के लिए मास्टर्स की बाध्यता हटाने के बाद अब विद्यार्थियों को ग्रेजुएशन के लिए नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत 4 साल की डिग्री लेनी होगी। यानी की अब अभ्यर्थी 4 साल की ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद ही पीएचडी कर सकेंगे। नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि "पहला फायदा यह है कि उन्हें पीएचडी प्रोग्राम में शामिल होने के लिए मास्टर डिग्री करने की जरूरत नहीं है. वे इसके लिए सिंगल या डबल मेजर भी ले सकते हैं।"

तीन साल का ग्रेजुएशन कोर्स नहीं होगा अभी बंद (Three year graduation course will not be closed now) -

नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के बारे यूजीसी अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि तीन साल के ग्रेजुएशन कोर्स को '4 वर्षीय कार्यक्रम' के पूरी तरह से लागू होने तक बंद नहीं किया जायेगा। नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 को अभी पूरी तरह लागू होने में अभी वक्त लगेगा इसलिए 3 साल की डिग्री को अभी पूरी तरह बंद नहीं किया जायेगा। हालांकि इस फैसले से विद्यार्थियों के साथ साथ विश्वविद्यालयों ने भी राहत की सांस ली है। इस फैसले से अब विश्वविद्यालयों के पास भी नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करने के लिए उचित समय मिल पाएगा। 

क्रेडिट के आधार पर होगा डिग्री का बंटवारा (Degree will be awarded on the basis of credits) -

नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत अब कोर्स को क्रेडिट के आधार पर बांटा जाएगा। यानी की यूजी ग्रेजुएशन और ऑनर्स दोनों को अलग अलग रखा गया है। अगर किसी विश्वविद्यालय से विद्यार्थी 3 साल का ग्रेजुएशन कोर्स करते हैं तो उन्हें 120 क्रेडिट (अकादमिक घंटों की संख्या के माध्यम से मापा जाता है) हासिल करने होंगे। वहीं फोर ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP) करने वाले अभ्यर्थी जिन्हें यूजी ऑनर्स की डिग्री मिलेगी, उन्हें 160 क्रेडिट हासिल करने होंगे। 

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